Friday, 11 May 2018

एनसीटीई अगले साल से चार वर्ष का बीएड कोर्स लाने की कवायद में जुटा


नेशनल काउंसिल ऑफ टीचर्स एजुकेशन (एनसीटीई) अगले साल से चार वर्ष का बीएड कोर्स लाने की कवायद में जुट गया है। इसको  लेकर दिल्ली में कुछ दिन पहले एक महत्वपूर्ण मीटिंग भी हो चुकी है जिसमें शिक्षक बनाने के लिए वन कोर्स का खाका खींचने पर रणनीति बनी। सरकार की मंशा के तहत एनसीटीई प्राइमरी और सेकेंडरी दोनों में शिक्षक बनने की योग्यता केवल बीएड करने जा रही है। 
प्राइमरी में अब तक बीटीसी और सेकेंडरी में शिक्षक बनने के लिए बीएड प्राथमिक योग्यता है। तीन साल पहले एक वर्ष के बीएड को खत्म कर बीएड दो वर्ष का कर दिया गया था। सफलतापूर्वक दो सेशन पूरे भी हो चुके हैं। बीएड के अलावा बीटीसी, बीएलएड, डीएलएड जैसे कई कोर्स चल रहे हैं जिनके जरिए शिक्षक बना जा सकता है। सरकार शिक्षक के लिए सिर्फ एक कोर्स चाहती है। इस अहम बदलाव को लेकर एनसीटीई ने एक हाईपॉवर कमेटी बनाई है। इसके चेयरमेन रुहेलखंड विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. अनिल शुक्ल हैं। कमेटी में तमाम विश्वविद्यालयों के कुलपति सहित कई विशेषज्ञ भी शामिल हैं। बताया जा रहा है कि एक साल के बाद होने वाले बदलाव में शिक्षक बनने के लिए केवल बीएड ही होगा। 
बीएससीबीएड और बीएबीएड जैसे कोर्स 
बताया जा रहा है कि नए बदलाव के तहत प्राइमरी और सेकेंडरी में अलग-अलग बीएड कोर्स डिजाइन होंगे। प्राइमरी के लिए अलग बीएड करना होगा और सेकेंडरी के लिए अलग बीएड कोर्स होगा। प्राइमरी और सेकेंडरी में साइंस ओर कला वर्ग के लिए दो ग्रुप होंगे। प्राइमरी में भी बीएससी बीएड और बीए बीएड तथा सेकेंडरी में भी बीएससी बीएड और बीए बीएड अलग अलग होंगे। कमेटी बीएड कोर्स का पूरा खाका खीचेंगी। इसमें कोर्स से लेकर शिक्षकों की संख्या और शिक्षकों की क्वालीफिकेशन भी कमेटी तय हरेगी। इस संबंध में कमेटी के चेयरमेन प्रो. अनिल शुक्ल से बात की गई तो उन्होंने कहा कि मीटिंग में बीएड कोर्स को लेकर मंथन हुआ है। अभी कई चरण में  बैठकें होनी हैं। 
काफी शिक्षकों की करनी होगी नियुक्ति
चारवर्षीय बीएड कोर्स ओर वह भी सेकेंडरी के साथ प्राइमरी के लिए भी, काफी संख्या में शिक्षकों की नियुक्ति करनी होगी। हालांकि यह आसान नहीं होगा पर एनसीटीई इसे लागू करेगी तो यह करना ही होगा। यह व्यवस्था पूरे देश में बीएड कोर्स पर लागू होगी। 50 छात्रों पर दस शिक्षकों की तैनाती के साथ साइंस और आर्ट्स के अलग-अलग बीएड के लिए विशेषज्ञ शिक्षकों की नियुक्ति भी बड़ी चुनौती होगी।