सुस्त प्रक्रिया, अधिकारियों की अनदेखी
से अशासकीय सहायताप्राप्त महाविद्यालयों को फिलहाल शिक्षक मिलते नजर नहीं आ रहे।
स्थिति यह है कि प्रदेश भर के महाविद्यालयों में वर्षों से असिस्टेंट प्रोफेसर के
सैकड़ों पद खाली हैं, लेकिन भर्ती अधर में
लटकी है। अभी तक भर्ती के लिए अधियाचन तैयार नहीं किया गया। न ही अधिकारी उसको
लेकर कोई रुचि दिखा रहे हैं। इसके चलते सारी प्रक्रिया ठप है। परीक्षा की तैयारी
में लगे अभ्यर्थियों में असमंजस की स्थिति है।
प्रदेश के अशासकीय सहायताप्राप्त महाविद्यालयों में असिस्टेंट प्रोफेसर के
अलग-अलग विषयों के 3800
पद खाली
हैं। पद भरने के लिए उच्च शिक्षा निदेशालय से अधियाचन उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग को
भेजा जाना है। लेकिन,
यह
प्रक्रिया महीनों से ठप है। अभ्यर्थियों के दबाव में निदेशालय ने लोकसभा चुनाव की
आचार संहिता खत्म होने के बाद भर्ती के लिए अधियाचन जारी करने का आश्वासन दिया था, लेकिन अभी
तक उस दिशा में कोई काम नहीं शुरू हुआ। उच्च शिक्षा निदेशक डॉ. प्रीति गौतम का
कहना है कि अधियाचन को लेकर सत्यापन का काम चल रहा है। सारी प्रक्रिया पूरी करके
भर्ती के लिए अधियाचन जारी कर दिया जाएगा।
यह भर्ती भी लटकी
उच्च
शिक्षा निदेशालय ने फरवरी 2018
में
अलग-अलग विषयों में असिस्टेंट प्रोफेसर के 526
पदों को
भरने के लिए अधियाचन उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग को भेजा था। आयोग उसकी भर्ती
प्रक्रिया शुरू करता उसके पहले आरक्षण प्रक्रिया में कुछ गड़बड़ी होने का हवाला
देकर विज्ञापन जारी न करने का निर्देश दे दिया गया। आरक्षण को लेकर वह गड़बड़ी अभी
तक दूर नहीं की गई।