हाईकोर्ट ने प्रशिक्षित स्नातक शिक्षक (टीजीटी) कला, संस्कृत और बायलॉजी के संशोधित चयन परिणाम में सूची से बाहर हुए अभ्यर्थियों को राहत दी है। कोर्ट ने इनको चयन से बाहर करने पर रोक लगा दी है।
साथ ही संशोधित परिणाम में चयनित अभ्यर्थियों को गैर विज्ञापित पदों या आगे आने वाली भर्तियों के पदों पर नियुक्ति देने का आदेश दिया है। इस मामले को लेकर दाखिल कई याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति संगीता चंद्रा ने यह आदेश दिया है।
इस मामले को लेकर कला टीचरों की ओर से ओमप्रकाश यादव व अन्य, बायलॉजी के विनोद कुमार चौधरी व अन्य तथा संस्कृत के संतोष कुमार तिवारी व अन्य ने अलग-अलग याचिकाएं दाखिल की थीं।
याचीगण के अधिवक्ता सीमांत सिंह के मुताबिक कला के 361 पदों के लिए 2009 में जबकि संस्कृत के 275 पदों और बायलॉजी के 218 पदों के लिए 2010 में विज्ञापन जारी हुआ था।
2012 में अंतिम चयन परिणाम घोषित किया गया, जिसे हाईकोर्ट में यह कहते हुए चुनौती दी गई कि अंतिम चयन परिणाम जिन प्रश्नों के आधार पर घोषित किया गया है, उनमें से कुछ प्रश्न गलत हैं। एकल न्यायपीठ ने चयन परिणाम रद्द करते हुए विशेषज्ञों की राय लेकर संशोधित परिणाम घोषित करने का आदेश दिया।
2012 में अंतिम चयन परिणाम घोषित किया गया, जिसे हाईकोर्ट में यह कहते हुए चुनौती दी गई कि अंतिम चयन परिणाम जिन प्रश्नों के आधार पर घोषित किया गया है, उनमें से कुछ प्रश्न गलत हैं। एकल न्यायपीठ ने चयन परिणाम रद्द करते हुए विशेषज्ञों की राय लेकर संशोधित परिणाम घोषित करने का आदेश दिया।
बाहर हुए अभ्यर्थियों ने एकल न्यायपीठ के आदेश को विशेष अपील में चुनौती दी थी। खंडपीठ ने एकलपीठ का आदेश रद्द करते हुए मामला नए सिरे से तय करने का आदेश एकलपीठ को दिया।