उत्तर प्रदेश
में उच्च न्यायालय के एक फैसले के बाद बेसिक शिक्षा विभाग में हाल ही में हुईं 12460 नियुक्तियों में से मथुरा जनपद में 216 के सापेक्ष
हुईं 185 शिक्षकों की नियुक्ति में भारी गड़बड़झाला सामने आया
है ।
जिला स्तरीय चयन समिति के अध्यक्ष एवं जिला शिक्षक प्रशिक्षण
संस्थान (डायट) के प्राचार्य डा मुकेश अग्रवाल ने अभी तक कुल 32 सहायक अध्यापकों की नियुक्तियां निरस्त कर और शेष सभी अध्यापकों के प्रमाण
पत्रों की जांच बैठा कर पूरे मामले की रिपोर्ट सचिव, बेसिक
शिक्षा को भेज दी है।
इस मामले में जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय के संबंधित पटल
सहायक महेश बाबू को प्रथम दृष्टया दोषी मानते हुए निलंबित कर दिया गया है तथा सभी
अभ्यर्थियों के शैक्षिक प्रमाण पत्रों सहित शिक्षक पात्रता परीक्षा (टेट) प्रमाण
पत्रों की जांच बेसिक शिक्षा अधिकारी संजीव कुमार सिंह को सौंप दी गई है। वे चयन
समिति के सदस्य सचिव भी हैं।
गौरतलब है कि अप्रैल माह में रामजनक मौर्य एवं अन्य मामले की
सुनवाई करते हुए इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने बेसिक शिक्षा विभाग को आदेश दिया था कि
जिन अभ्यर्थियों ने बाहरी जिलों से प्रशिक्षण लिया है, उन्हें फिलहाल नियुक्ति आदेश न दिए जाएं लेकिन मेरिट के अनुसार स्थान
सुरक्षित रखा जाए।
परंतु, इस मामले में मथुरा में बिल्कुल उल्टा हुआ। 7
ऐसे लोगों को नियुक्ति पत्र जारी कर दिए गए जिन्होंने बाहरी जनपदों
में प्रशिक्षण प्राप्त किया था । इन लोगों ने नियुक्ति पत्र हासिल कर तुरंत ही
ज्वाइन भी कर लिया था।
इनके अलावा गुरुवार एवं शुक्रवार को जांच में 25 ऐसे मामले सामने आए हैं जिन्होंने काउंसिलिंग के समय बीटीसी की अंकतालिका
का जिक्र किया, किंतु अभिलेख डीएलएड के लगाए। इन सभी के टेट
प्रमाण पत्र भी फर्जी पाए गए।
चयन समिति ने 25 शिक्षकों के नियुक्ति पत्र तत्काल प्रभाव से
निरस्त करते हुए नोटिस जारी कर उन्हें 21 मई को अपना पक्ष
रखने का मौका दिया है।
शुक्रवार को चयन समिति ने सचिव बेसिक शिक्षा परिषद और निदेशक को
भेजी गई रिपोर्ट में मामले को गंभीर मानते हुए उच्च स्तरीय समिति से जांच कराए
जाने की संस्तुति की है।
डायट प्राचार्य डॉ. मुकेश अग्रवाल का कहना है कि मामला बेहद गंभीर
है। बीटीसी और टीईटी के अलावा सभी 185 अभ्यर्थियों के हाईस्कूल, इण्टर
व बीए के कागजातों का भी सत्यापन कराया जाएगा। दोषियों के खिलाफ एफआइआर दर्ज कराई
जाएगी।