इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग इलाहाबाद की पांच साल की परीक्षाओं की सीबीआई जांच के खिलाफ याचिका खारिज कर दी है। आयोग के अध्यक्ष व सदस्यों ने सीबीआई जांच की वैधानिकता को चुनौती दी थी। आयोग का कहना था कि वह एक संवैधानिक संस्था है जिसकी जांच कराने का अधिकार सरकार को नहीं है। कोर्ट ने आयोग के तर्क को नहीं माना और हस्तक्षेप करने से इंकार कर दिया। हाईकोर्ट के इस आदेश से सीबीआई को आयोग की भर्तियों के खिलाफ जांच का रास्ता साफ हो गया है। यह आदेश मुख्य न्यायाधीश डीबी भोसले तथा न्यायमूर्ति सुनीत कुमार की खंडपीठ ने अध्यक्ष व सदस्य के मार्फत लोक सेवा आयोग की याचिका पर दिया है। मालूम हो कि राज्य सरकार ने आयोग की परीक्षाओं में धांधली की शिकायतों को देखते हुए सीबीआई जांच कराने का निर्णय लिया और केंद्र सरकार को संस्तुत्ति भेजी। केंद्र सरकार ने राज्य सरकार के अनुरोध को स्वीकार करते हुए पिछली पांच साल की परीक्षाओं की सीबीआई जांच की अधिसूचना जारी की। आयोग के अध्यक्ष व सदस्यों ने इसे चुनौती दी। इनका कहना था कि आयोग के खिलाफ राष्ट्रपति की संस्तुति पर सुप्रीम कोर्ट को ही जांच करने का अधिकार है, अन्य एजेंसी को जांच का अधिकार नहीं है। सरकार को एक संवैधानिक संस्था की जांच कराने का अधिकार नहीं है। कोर्ट ने अध्यक्ष व सदस्यों को बुलाकर पूछताछ करने पर रोक लगा दी थी और कहा था कि सीबीआई जांच जारी रखे। राज्य सरकार व सीबीआई की तरफ से कहा गया कि शिकायतों की प्रारंभिक जांच की जा रही है। साक्ष्य मिलने पर एफआईआर दर्ज कर सीबीआई विवेचना करेगी। सरकार ने शिकायतों की गम्भीरता का परीक्षण कर ही जांच कराने का फैसला लिया है। सुप्रीम कोर्ट के जांच का अधिकार सीबीआई जांच से प्रभावित नहीं होता। यदि परीक्षा में धांधली की शिकायत आती है तो सरकार को निष्पक्ष जांच कराने का अधिकार है। कोर्ट ने 7 फरवरी को फैसला सुरक्षित कर लिया था। सब डिवीजन चार्ज के खिलाफ याचिकाओं पर 16 को सुनवाई : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने विकास प्राधिकरणों द्वारा प्लाटों के उप विभाजन चार्ज लेने की वैधता को लेकर दाखिल सैकड़ों याचिकाओं को सुनवाई के लिए 16 मार्च को पेश करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने उप विभाजन शुल्क वसूली पर भी रोक लगा रखी है।